मीणा इतिहास के झरोखे से

मीणा इतिहास के झरोखे से
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*अब तक का करीब 98 वर्ष पुराना अतिमहत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज*
जिसका जिक्र किसी भी इतिहास की पुस्तक में किसी भी इतिहासकार ने नही किया , आज समाज के सामने प्रस्तुत हैं ।
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तत्कालीन जयपुर स्टेट के महान समाजसेवी *श्री गणपत राम बगराणिया ने आजादी व मीणा समाज मे फैली व्याप्त बुराइयों के खात्मे के लिए सन्न 1905 से ही सक्रिय हो गए थे* । मीणा जाती  में वे प्रथम महापुरुष थे जिन्होंने शिक्षा के लिए आवाज़ उठाई , मृत्युभोज पर आंशिक पाबन्दी , फिजूलखर्ची पर रोक , किसी को देने वाले दस्तूर के नाम पर लूट के वे विरोधी थे ।
बहुत सारी मीणा इतिहास की पुस्तकों में पढ़ने आता हैं कि सबसे पहले मीणा सुधार की कमेटी जयपुर में सन्न 1924 में बनी थी लेकिन इससे दो साल पहले यानी *सन्न 1922 में  शेखावाटी क्षेत्र के बगड़ कस्बे में पूज्य गणपत राम बगराणिया ने मीणा सुधार कमेटी मु. बगड़ की स्थापना कर चुके थे । आदरणीय के भाषणों से पता चलता है कि उनके देशनिकाले के अनेक कारणों में से एक यह कमेटी भी महत्वपूर्ण कारण बनी थी । उन्होंने लिखा है कि में मीना समाज में शिक्षा के लिए जाग्रत करने की कोशिश ओर बालको को नेकचलन बनाने के लिए जनजाग्रति अभियान चलाने पर भी तत्कालीन जयपुर राज्य के आई जी नारायण सिंह चम्पावत ने मुझ पर राजद्रोह का मुकदमा लगा दिया* ।
इस कमेटी की स्थापना सन्न 1922 में हुई और उन पर राजद्रोह का मुकदमा फरवरी 1923 में लगा था ।
मीणा समाज का अब तक प्राप्त साक्ष्यो में से सबसे पुराना करीब 98 वर्ष पुराना  साक्ष्यो में  मेरी नजरो में यही है यह एक कोई 50 पेज का लंबा रजिस्टर हैं जिसमे शेखावाटी अंचल की स्थानीय बोली व उर्दू फारसी मिक्स भाषाओ का प्रयोग किया गया हैं ।
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 रजिस्टर के प्रथम पेज पर सबसे ऊपर श्री रामजी लिखकर बाईं ओर श्री जगदम्बे नम्ह व दाई ओर श्री गणेशाय नम्ह लिखा गया हैं और इसके नीचे मीणा जाती सुधार सभा मु. बगड़ नाम की मोहर लगी हुई हैं ।
ततपश्चात लिखा है :- ।।। नेम मिणा जाति सुधार सभा मु. बगड़ शेखावाटी - दस्खत जो सभा के मुताबिक चले उन सबसु के - मय पूरा पता सरमीति मंगसिर सुदी १३ स. १९७९
इस सभा मे मुख्य पाँच नियम तय किये गए जो इस प्रकार हैं :-
१ . राणो को कोई दस्तूर पर नेग , थाली , नगदी , ब्याह शादी में खुशी बधाई नही देगा ।
२ . खर्च बारह में सिर मुंडाई का ब्राह्मणों को लाटा सुलटा देवे पर उन्ही को बुलावें जो उपयुक्त हो ।
३ . *बच्चों को पढावो , काबिल करो और हमेशा ही नेक चलन की शिक्षा दो*
४ . घर पर सालाना , ब्याह या पुत्र जन्म पर सभा को सहायता दो ।
५ . तुम खुद बुरी आदत छोड़ो , नेक चलन हो , मेहनत मजदूरी या सरकारी मुलाजिम बनो या खेती करो । जिस गांव में बसो उसका सदैव भला चाहो । फिजूलखर्ची न करो ,  नियम ४ की रकम वसूल कर सभा मे भेजते रहो इसमे सुस्ती न करो ।
इस सभा मे करीब 150 लोगो के हस्ताक्षर उनके गांव नाम सहित दिए गये हैं कुछ हस्ताक्षर उर्दू में , कुछ के अंगूठे निशान व कुछ के हिंदी में हस्ताक्षर किए हुए हैं । *इस सभा मे शेखावाटी , जयपुर स्टेट , शाहजहांपुर , दिल्ली तक के मीणा सरदार शामिल हुए थे* ।
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इतनी बड़ी सभा , इतने बड़े महापुरुष , इतनी बड़ी समाजसेवा , राष्ट्रसेवा फिर भी इतिहास के लेखकों ने आदरणीय को नजरअंदाज किया । सोचनीय बिंदु हैं ।।।
संकलन :- रामसिंह बगराणिया झुंझुनू

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