लाडा की जीजी (Marriage Feelings )
सगाई ......
नाक नक्शो भी दैखर आया है क कोरो नास्तो खार ही आ गिया। पण मेरी च्यौ मानेगा , मोकू बणा मली है घर की बांधी, गेबी सारे दिन खेत न मे काम करूं , फेर न्या थमारा मंडा बणाऊ, मरवा कू भी टेम कुनी। पीसा न का मिरया दोनू बाप बेटा भूखा। लुगाई इसी होणी चाहिए क जै लुगाई लगै, या काई दो पाखी को डील होय , एक बिलाद की कू काई करा।
गेबी सारे दिन रहवै अब तो बा मियाँ सू, दखा मोसू ही करा दे बात थोड़ी सी। अभी सू ही चणा ले मूड पे। बात न मे तो मम्मी कहवै, पण आवैगी जब पतो पडेगो किसया फलका देवेगी।
मोकू तो लगे छोरा बियाण की ही चलै घर मे, अरे बा तो कतई कचर पचर बतडावै लोहडी।
दैख बियाण म्हारा तो खूब हलता चलता है, बियाऊ बाद मे खूब थमारी छोरी कू दूसरे दिन ही लारै ले जाऔ,म्हारे कोई काम ना है, गेबी मजूर करेगा खेती।
लग्न- म्हारी एक छोरी है जेकू लेवा कुन गिया गेबी नपूता, सारे दिन दुकान न भैराता डोले। एक लाडौ कू तो बा लंका ही कुन कर र खाबा दे अब । कतई फोन कान पे रहवै सारे दिन। थम देऔगे तो देऔ नही , म्हारी छोरी कू तो मे हार दूंगी। बहणा देख लिज्यौ थारा मोहन्या की शादी मे बिना बुलाया आया हा सबडा घरका। म्हारे तो बहुत साल बाद अभी काम पिडयौ है, मेरी दो भतीजी है इनकू नौतो नही दियो थमनने, पण मेरी काई चलेगी इनकी लुगाई आबा पाछे, अभी ही कोन चाल री। म्हारी भतीजी न्यौ कहवैई क भुआ थारा सुनील की शादी मे तो बिना बुलाये ही आबेगा। हमारे कब काम पडेगो मांड देखवा को।
छोरी फूलबती गीत न खियाती न, वा देख एक आई है पाबणी मोजन्ती , छुरैट न सू कुन सरै बाकू तो। छौरियो थम सारे दिन की न्या पंचायत कर री औ री , वा छौरा कू दुध तो पुआ देती रै, आपणे दुध कम होय तो सुरेश न क सू लिया लक्ष्मी , उनके धर्म किरयौ जब मेने हाडी मे कुन धिरयौ पाँच किलो कू।
"बना को दादौ रैल चलावै , बनौ चलावे चीलगाडी। बना का दादा न लेटर भैज्यौ, बना तुम्हारी शादी है, बना ने लेटर बापस भेज्यौ, कैसी बरनी हैरी है। बना का दादा ने बापस भैज्यौ- खूब च चौखी, लम्बी पूरी .........
देख री बेटी किस्यौ लहगौ पेरू, या महरूम कलर को तो मेने सगाई के दिन पहर लियो। आसमानी लूगडी है पण यामै सैतारा कम दिख है ना जीजी।
छौराऔ जेकू आणौ होगो, आ जायगौ थम तो नहा ध्यौ लो। या गरम मे कति आटौ पड गियो न तो सब वियाऊ हो जायेगो ।
अ री चरतलाल की जीजी थमारा उमेश का विवाह मे कहाँ गिया खाना माटी लेवा। आपणे तो ज्यादा अधेंरो कर लियो, या आंधी मे कहा जाऊगी लुगाया, या खेत मे सू ही कर ल्यौ नेक।
खूब दिया है बहणा पिसा तो, पण जीजी कमला कपड़ा न मे दम कुनी। अरै म्हारी भौजाई इनकी तो अब माडी भी कुन पहरै। दुल्हे का तो बडिया है बहणा।
#काकी बना गाबा #आज्यौ - कोण की बेटी , गुड्डी की दिखै या छोटी छौरी तो, अरे बिवाह आडी होगी या तो, ।
छोरा या एक भाणजी है थमारे जेकू भी लांचा कुन आया थमन पे तो, बा देख लड्डू की शादी मे सबडी भुआ बहण भाभीन कू लांचा लेर आयौ । पण थमारै काई- साप न के काई माबसी ।
या गेबी लाईट कू भी अभी जाणौ क , छोरीऔ गैस जोडो री, जोर जोर से- छौरा मोहन कहाँ गियो थारो काको, माचिस तो घर मे धर दैतो एक दो, ।
या भुआ भोंती कू बिंडल लिया रै बेटा थारा काका पे सू एक , बिचयारी सुबह सू मांग री है।
ये तीन कट्टा सटेडी फूल्या न काई होवैगो , नरी सारी लुगाई आबै गीत न पे। इस्या करेगा तो कर लियो विवाह थमने। म्हारी हडद करावै क अतरी सारी लुगाईन मे।
छौरा तू तीन बार गंगापुर जा आयौ तोपे दो लट्टू कुन आया गेबी,या चोक मे अंधेरो रहवै।
बेटा बा गीताराम की भाभी आई रै , जब राधेलाल न कै रोटी खावै तब म्हा भी जायाज्यौ।
बेटी थारा बडा काका सू पूछेनी क, रमेश न के भी गीत न कहणी है वे आबै जाबै क आपणे ?
#तेल को #बुलाव है भैया, दोनू घर न मे #हेमराज पटेल के सू ......
बा देख राजेश की लुगाई कू ,कतई गरदानौ आ रियो है, जुआई डिलाईबर है बहणा। क्वार्टर पे अठाली चरै बैठी बैठी। सासु सारे दिन कूड मौडै बिचारी।
ऐ काकी यासू आछी तो सुनिल की लुगाई है गहणो देख , ऐरी सुनिता या हार कहाँ सू बणवायौ-काकी या तो जयपुर सू लायौ म्हारो अंकल ।
काई कू मसकरी न पे आरी औ दयारी औ, दो चार गीत तो ग्या ल्यौ। नेक भी कुन किरयौ । या कटकड की कर री अ बुबकारी ।
बेटा पसी भरावेगी लुगाई आजा रै, थारो बंदयाक कहाँ गियो। लगन पे तो दूसरो हो, अब याकू मत बिठाणे बेटा , बाकी जीजी क आटो पड जायेगो, बाकू ही बुला ले।
#चून को नोतो है #सा -
क्याल काकी मे जा आई , आज सुरमा कू भेज दे मांडा गडावा की कहवा। ऐ बेटी चल जा री, बा नहावा गई है। औ छोरा सतीश यामे भाई 4 लाडू और थोड़ी सी पुडी दिज्यौ रे , म्हारे गेहूँ कटावै आवै या बिचयारी गरीब जात है रै, छुरेट न कू ले जायेगी ।
भाई देख सुरेन्द्र तू तो समझदार है देख लिज्यौ परोसती टाईम कोई होठ झोठ नही छोडे। गेबी म्हारो मेघराज सू खेदी जे नाराज होगो-डोकरी तू चुपचाप बैठ तेरे काई काम है इनसू। मे तो बेटा इस्या ही खह दू रै।
चाक पे तो बेटी तू बा पीडी लूगडी पैर ज्यौ। पहले जाबैआ रै कुम्हार न के तो। अब तो मंदिर पे सू ले आमा । छौराऔ खा है थमारो डीजे बाडौ , गेबिऔ पाछे भातई भी आ जाबेगो। चाक तो दिन दिन सू आच्छयौ लगै।
म्हारी सगी नगण का साया, जेड उतार दे म्हारी । और नकटी का , औ लौहडी का .......
भाई कोण कोण आया , जीजी तो आच्छाय है न, भाया बा पप्पू का छुरेट न कू तो लियातौ रे भात मे। बिच्यारा नोतवा गयी जब न्यौ कह रिया भुआ भात मे आबेगा।
बेटी आछी आछी लूगडी न कू तो या ढकोला मे धर लिज्यौ , अब मे तो लाडा की मिया हू 17 जगह दिमाग रहवै। देख जीजी भुख्खण ये लायौ म्हारो भाई कपड़ा । आच्छा है ।
#बारात मे #चलणौ है सा -
अरी बेटी सात बार को नेक होवै , पाँच बार तो लगा दी रै, दो बार नेक और कर दो कोई सी मेहन्दी को लाडा के। कोई कुन रूकयौ बहणा सब गिया रात मे ही, खूब कही हमने तो क भाई बारात मे तो चल्जयौ , पण बैस धीरज कू छोड़ अर गिया है,।
म्हारा बेटा तेने तो म्हारी कतई सुणवौ बंद कर दियो पण, निकासी मे ध्यान दिज्यौ कोण लुगाई कितेक रूपया सू करे जुआरी। कभी उनके काम पडेगौ जब मे भी करूगी न जे सु कही है। छोरीऔ सब्जी तो शाम की है और तो खा लेगा बहणा पुडी काड रिया है पण ये दो बामणोस का है इनकू रोटी बणा देती रै।
भाई केरी की लोंजी सू खा लेग्या क ?
थमारा छोरा की निकासी मे तो हमारी लुगाई खूब नांची, थम तो नचाऔ जीजी थमारी बहु कू ? भाई ये पटाखा मत चलाऔ रै , कोई का घर मे आग लग जायेगी। इनसू काई न्यारो नाम कडे क ?
बाजार तक तो चलौ दयारीऔ , हाल तो हथाई पे दुध पिलावा को नेक भी करणौ है। या झकर मे छौरा को नूर ही उतर गियौ कतई । लाडा मे शादी की चटक ही कुनी कतई ।
नेक तो जरूरी है बहणा खौडया को भी। या नयी भाभी कू बणाऔ री लाडी तो , हाहाहाहाहा लाडौ तो या सीमा सही रहवैगी , याके आ जायेगा रमेश का पेंट शर्ट ।
थेला री औ थम तो लौहडी औ।
छोरी देखज्यौ या बस को आट तो नही है ? आगी दिखै बारात उलटी ?
किसी करी थमारी व्यवस्था छौराऔ ? कोण कोण रूकया है ?
काई काई नेक करणौ पडेगो जीजी बता दिज्यौ री थम , म्हारे तो पहलो काम है ?
गेबी न कतई रंग का कर दिया सबन कू । अब तो या रंग गुलाल की रीत ही पुराणी होगी । बियाण न लगायौ अ गुलाल । अब धौ लिज्यौ इनकू ।
आच्छी है बहणा लाडी तो । बेटी किसी लगी थारी भाभी ? थोडो ऊचो चोखो है पण , ठीक है सब ला। थम तो काई बतडाट करै , बा लाडौ बुरो मान जायैगो , गेबी कतई ऐन हो रियो है।
लाडी सू - बेटी आते ही दाँत मत काडे , दुनियाँ बात बणावै की याकी बहु आते ही थैलावै। लाज कर ले बेटी , या थारो दादी सुसरो है। थोडो लाज पल्लौ तो ढंग सू लेवा कर । थारी ही कुन आई रै लुगाई पढी लिखी ? बा देख पडौस यासू ज्यादा पढी है शहर न मे रहवै पण लाज पल्ला तो डोकरी सब घर सू ही सिख्या खिदावै।
यदि बाहर ज्यादा उठक बैठक करे तो -
दैख हाल तो दो दिन आया कुन !होया और सबडो पाडो नाप लियो। जरूर सिखा दी होगी ।
घर मे ज्यादा रहे तो - कतई जापौ ही करवाबैगी क ? कोई बाहर डोलवो नही ? कोई आयौ गिया सू बोलवो बतडावौ नही ?
नोट- लेखन मे पात्र, स्थान काल्पनिक है लेकिन शादी का अहसास वास्तविक है। फोटो फेसबुक से लिया गया है, जिसका इस शादी से कोई लेना देना नही है ।
कोरोना वायरस की वजह से रायता ना मिलने के कारण अबकी बार काल्पनिक शादी अहसास ऐसे ही पुरानी ग्रामीण अंचलों की यादों के सहारे मनोरंजन होता रहेगा , बस आप कुछ बकवास पोस्ट जो कभी-कभी डाल देता हू उनसे भिचके नही, उनमे भी सुधार करूंगा आज से। आपका प्यार मेरे लिए सौभाग्य है ऐसे ही बनाये रखे।
-सीधा लंका के बगल से - मेघराज मीना नारौली डाँग की कलम से
सगाई ......
नाक नक्शो भी दैखर आया है क कोरो नास्तो खार ही आ गिया। पण मेरी च्यौ मानेगा , मोकू बणा मली है घर की बांधी, गेबी सारे दिन खेत न मे काम करूं , फेर न्या थमारा मंडा बणाऊ, मरवा कू भी टेम कुनी। पीसा न का मिरया दोनू बाप बेटा भूखा। लुगाई इसी होणी चाहिए क जै लुगाई लगै, या काई दो पाखी को डील होय , एक बिलाद की कू काई करा।
गेबी सारे दिन रहवै अब तो बा मियाँ सू, दखा मोसू ही करा दे बात थोड़ी सी। अभी सू ही चणा ले मूड पे। बात न मे तो मम्मी कहवै, पण आवैगी जब पतो पडेगो किसया फलका देवेगी।
मोकू तो लगे छोरा बियाण की ही चलै घर मे, अरे बा तो कतई कचर पचर बतडावै लोहडी।
दैख बियाण म्हारा तो खूब हलता चलता है, बियाऊ बाद मे खूब थमारी छोरी कू दूसरे दिन ही लारै ले जाऔ,म्हारे कोई काम ना है, गेबी मजूर करेगा खेती।
लग्न- म्हारी एक छोरी है जेकू लेवा कुन गिया गेबी नपूता, सारे दिन दुकान न भैराता डोले। एक लाडौ कू तो बा लंका ही कुन कर र खाबा दे अब । कतई फोन कान पे रहवै सारे दिन। थम देऔगे तो देऔ नही , म्हारी छोरी कू तो मे हार दूंगी। बहणा देख लिज्यौ थारा मोहन्या की शादी मे बिना बुलाया आया हा सबडा घरका। म्हारे तो बहुत साल बाद अभी काम पिडयौ है, मेरी दो भतीजी है इनकू नौतो नही दियो थमनने, पण मेरी काई चलेगी इनकी लुगाई आबा पाछे, अभी ही कोन चाल री। म्हारी भतीजी न्यौ कहवैई क भुआ थारा सुनील की शादी मे तो बिना बुलाये ही आबेगा। हमारे कब काम पडेगो मांड देखवा को।
छोरी फूलबती गीत न खियाती न, वा देख एक आई है पाबणी मोजन्ती , छुरैट न सू कुन सरै बाकू तो। छौरियो थम सारे दिन की न्या पंचायत कर री औ री , वा छौरा कू दुध तो पुआ देती रै, आपणे दुध कम होय तो सुरेश न क सू लिया लक्ष्मी , उनके धर्म किरयौ जब मेने हाडी मे कुन धिरयौ पाँच किलो कू।
"बना को दादौ रैल चलावै , बनौ चलावे चीलगाडी। बना का दादा न लेटर भैज्यौ, बना तुम्हारी शादी है, बना ने लेटर बापस भेज्यौ, कैसी बरनी हैरी है। बना का दादा ने बापस भैज्यौ- खूब च चौखी, लम्बी पूरी .........
देख री बेटी किस्यौ लहगौ पेरू, या महरूम कलर को तो मेने सगाई के दिन पहर लियो। आसमानी लूगडी है पण यामै सैतारा कम दिख है ना जीजी।
छौराऔ जेकू आणौ होगो, आ जायगौ थम तो नहा ध्यौ लो। या गरम मे कति आटौ पड गियो न तो सब वियाऊ हो जायेगो ।
अ री चरतलाल की जीजी थमारा उमेश का विवाह मे कहाँ गिया खाना माटी लेवा। आपणे तो ज्यादा अधेंरो कर लियो, या आंधी मे कहा जाऊगी लुगाया, या खेत मे सू ही कर ल्यौ नेक।
खूब दिया है बहणा पिसा तो, पण जीजी कमला कपड़ा न मे दम कुनी। अरै म्हारी भौजाई इनकी तो अब माडी भी कुन पहरै। दुल्हे का तो बडिया है बहणा।
#काकी बना गाबा #आज्यौ - कोण की बेटी , गुड्डी की दिखै या छोटी छौरी तो, अरे बिवाह आडी होगी या तो, ।
छोरा या एक भाणजी है थमारे जेकू भी लांचा कुन आया थमन पे तो, बा देख लड्डू की शादी मे सबडी भुआ बहण भाभीन कू लांचा लेर आयौ । पण थमारै काई- साप न के काई माबसी ।
या गेबी लाईट कू भी अभी जाणौ क , छोरीऔ गैस जोडो री, जोर जोर से- छौरा मोहन कहाँ गियो थारो काको, माचिस तो घर मे धर दैतो एक दो, ।
या भुआ भोंती कू बिंडल लिया रै बेटा थारा काका पे सू एक , बिचयारी सुबह सू मांग री है।
ये तीन कट्टा सटेडी फूल्या न काई होवैगो , नरी सारी लुगाई आबै गीत न पे। इस्या करेगा तो कर लियो विवाह थमने। म्हारी हडद करावै क अतरी सारी लुगाईन मे।
छौरा तू तीन बार गंगापुर जा आयौ तोपे दो लट्टू कुन आया गेबी,या चोक मे अंधेरो रहवै।
बेटा बा गीताराम की भाभी आई रै , जब राधेलाल न कै रोटी खावै तब म्हा भी जायाज्यौ।
बेटी थारा बडा काका सू पूछेनी क, रमेश न के भी गीत न कहणी है वे आबै जाबै क आपणे ?
#तेल को #बुलाव है भैया, दोनू घर न मे #हेमराज पटेल के सू ......
बा देख राजेश की लुगाई कू ,कतई गरदानौ आ रियो है, जुआई डिलाईबर है बहणा। क्वार्टर पे अठाली चरै बैठी बैठी। सासु सारे दिन कूड मौडै बिचारी।
ऐ काकी यासू आछी तो सुनिल की लुगाई है गहणो देख , ऐरी सुनिता या हार कहाँ सू बणवायौ-काकी या तो जयपुर सू लायौ म्हारो अंकल ।
काई कू मसकरी न पे आरी औ दयारी औ, दो चार गीत तो ग्या ल्यौ। नेक भी कुन किरयौ । या कटकड की कर री अ बुबकारी ।
बेटा पसी भरावेगी लुगाई आजा रै, थारो बंदयाक कहाँ गियो। लगन पे तो दूसरो हो, अब याकू मत बिठाणे बेटा , बाकी जीजी क आटो पड जायेगो, बाकू ही बुला ले।
#चून को नोतो है #सा -
क्याल काकी मे जा आई , आज सुरमा कू भेज दे मांडा गडावा की कहवा। ऐ बेटी चल जा री, बा नहावा गई है। औ छोरा सतीश यामे भाई 4 लाडू और थोड़ी सी पुडी दिज्यौ रे , म्हारे गेहूँ कटावै आवै या बिचयारी गरीब जात है रै, छुरेट न कू ले जायेगी ।
भाई देख सुरेन्द्र तू तो समझदार है देख लिज्यौ परोसती टाईम कोई होठ झोठ नही छोडे। गेबी म्हारो मेघराज सू खेदी जे नाराज होगो-डोकरी तू चुपचाप बैठ तेरे काई काम है इनसू। मे तो बेटा इस्या ही खह दू रै।
चाक पे तो बेटी तू बा पीडी लूगडी पैर ज्यौ। पहले जाबैआ रै कुम्हार न के तो। अब तो मंदिर पे सू ले आमा । छौराऔ खा है थमारो डीजे बाडौ , गेबिऔ पाछे भातई भी आ जाबेगो। चाक तो दिन दिन सू आच्छयौ लगै।
म्हारी सगी नगण का साया, जेड उतार दे म्हारी । और नकटी का , औ लौहडी का .......
भाई कोण कोण आया , जीजी तो आच्छाय है न, भाया बा पप्पू का छुरेट न कू तो लियातौ रे भात मे। बिच्यारा नोतवा गयी जब न्यौ कह रिया भुआ भात मे आबेगा।
बेटी आछी आछी लूगडी न कू तो या ढकोला मे धर लिज्यौ , अब मे तो लाडा की मिया हू 17 जगह दिमाग रहवै। देख जीजी भुख्खण ये लायौ म्हारो भाई कपड़ा । आच्छा है ।
#बारात मे #चलणौ है सा -
अरी बेटी सात बार को नेक होवै , पाँच बार तो लगा दी रै, दो बार नेक और कर दो कोई सी मेहन्दी को लाडा के। कोई कुन रूकयौ बहणा सब गिया रात मे ही, खूब कही हमने तो क भाई बारात मे तो चल्जयौ , पण बैस धीरज कू छोड़ अर गिया है,।
म्हारा बेटा तेने तो म्हारी कतई सुणवौ बंद कर दियो पण, निकासी मे ध्यान दिज्यौ कोण लुगाई कितेक रूपया सू करे जुआरी। कभी उनके काम पडेगौ जब मे भी करूगी न जे सु कही है। छोरीऔ सब्जी तो शाम की है और तो खा लेगा बहणा पुडी काड रिया है पण ये दो बामणोस का है इनकू रोटी बणा देती रै।
भाई केरी की लोंजी सू खा लेग्या क ?
थमारा छोरा की निकासी मे तो हमारी लुगाई खूब नांची, थम तो नचाऔ जीजी थमारी बहु कू ? भाई ये पटाखा मत चलाऔ रै , कोई का घर मे आग लग जायेगी। इनसू काई न्यारो नाम कडे क ?
बाजार तक तो चलौ दयारीऔ , हाल तो हथाई पे दुध पिलावा को नेक भी करणौ है। या झकर मे छौरा को नूर ही उतर गियौ कतई । लाडा मे शादी की चटक ही कुनी कतई ।
नेक तो जरूरी है बहणा खौडया को भी। या नयी भाभी कू बणाऔ री लाडी तो , हाहाहाहाहा लाडौ तो या सीमा सही रहवैगी , याके आ जायेगा रमेश का पेंट शर्ट ।
थेला री औ थम तो लौहडी औ।
छोरी देखज्यौ या बस को आट तो नही है ? आगी दिखै बारात उलटी ?
किसी करी थमारी व्यवस्था छौराऔ ? कोण कोण रूकया है ?
काई काई नेक करणौ पडेगो जीजी बता दिज्यौ री थम , म्हारे तो पहलो काम है ?
गेबी न कतई रंग का कर दिया सबन कू । अब तो या रंग गुलाल की रीत ही पुराणी होगी । बियाण न लगायौ अ गुलाल । अब धौ लिज्यौ इनकू ।
आच्छी है बहणा लाडी तो । बेटी किसी लगी थारी भाभी ? थोडो ऊचो चोखो है पण , ठीक है सब ला। थम तो काई बतडाट करै , बा लाडौ बुरो मान जायैगो , गेबी कतई ऐन हो रियो है।
लाडी सू - बेटी आते ही दाँत मत काडे , दुनियाँ बात बणावै की याकी बहु आते ही थैलावै। लाज कर ले बेटी , या थारो दादी सुसरो है। थोडो लाज पल्लौ तो ढंग सू लेवा कर । थारी ही कुन आई रै लुगाई पढी लिखी ? बा देख पडौस यासू ज्यादा पढी है शहर न मे रहवै पण लाज पल्ला तो डोकरी सब घर सू ही सिख्या खिदावै।
यदि बाहर ज्यादा उठक बैठक करे तो -
दैख हाल तो दो दिन आया कुन !होया और सबडो पाडो नाप लियो। जरूर सिखा दी होगी ।
घर मे ज्यादा रहे तो - कतई जापौ ही करवाबैगी क ? कोई बाहर डोलवो नही ? कोई आयौ गिया सू बोलवो बतडावौ नही ?
नोट- लेखन मे पात्र, स्थान काल्पनिक है लेकिन शादी का अहसास वास्तविक है। फोटो फेसबुक से लिया गया है, जिसका इस शादी से कोई लेना देना नही है ।
कोरोना वायरस की वजह से रायता ना मिलने के कारण अबकी बार काल्पनिक शादी अहसास ऐसे ही पुरानी ग्रामीण अंचलों की यादों के सहारे मनोरंजन होता रहेगा , बस आप कुछ बकवास पोस्ट जो कभी-कभी डाल देता हू उनसे भिचके नही, उनमे भी सुधार करूंगा आज से। आपका प्यार मेरे लिए सौभाग्य है ऐसे ही बनाये रखे।
-सीधा लंका के बगल से - मेघराज मीना नारौली डाँग की कलम से
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