प्राचीन काल में मुखिया,निकास स्थल,घटना,कुल देवी धराडी और मुखिया की उपाधि मिलने से भी गोत्र बनते रहे है | यहाँ हम प्राचीन बैफलावत मुखिया को मिली खाटा(वीरतापूर्ण युद्द जससे दुश्मन अचम्भित रह जाए ) उपाधि ने अब एक गोत्र का रूप (डाबला,नीम का थाना सीकर) धारण कर लिया है पर चर्चा करेंगे | जयराम जी (चुराणी) जी ने अवगत कराया कि बैफलावत गोत्र की एक शाखा पापडदा (दौसा) से नयाबास, वहां से खानवास और गुढ़ा (थानागाजी, अलवर) जा बसी | खानवास के तेजा बैफलावत आज भी दन्तकथा और लोक गीतों में जीवित है जिसे भोमिया के रूप में पूजा जाता है | जिनका स्मारक गाँव-खानवास में बना हुआ है -कवि ने उनके लिए क्या खूब कहा है -
काकड़ बाज्या घुघरा,फलसे बाज्या ढोल |
ओठो बावड रे खाटू का तेजा ,
थारो अमर रह ज्यागो कुल में बोल ||
यह खाटा उपाधि कितनी पुरानी है मित्रो से चर्चा में जान पायेंगे | गुढ़ा में कुछ समय रहने के बाद मिनाओ के प्राचीन गाँव - इन्दोक आ बसे | प्राचीन इन्दोक पहाड़ी पर था अब निचे आ बसे | यहाँ बैफलावत मुखिया की मुस्लिम आक्रमणकारी से कड़ी टक्कर हुई |झुन्था जी के वंस में यहाँ के लाल जी बैफलावत प्रसिद्द व्यक्ति रहे है | झुन्था जी के वंस में से दो भाई गुढ़ा में जा बसे | बाद एक भाई ने चुराणी बसाई | गुढ़ा चुराणी(थानागाजी) की आबादी 1200 के आस पास है मुस्लिम आक्रमण में पुराणी इन्दोक नष्ट हुई | तीन भाई इन्दोक से बैफ्लावातो के प्राचीन मेवासे खाटू में जा बसे | कुछ समय रह वहां आमलोदा (विराट नगर) आ बसे | उनमे से एक भाई ब्राह्मण के साथ पुनः चुराणी जा बसे | राजेश खाटा और उनके पिता बंशीधर खाटा जी ने व आमलोदा के कालू राम खाटा ने बताया की आमलोदा(20-25 आबादी शेष ) में मरी (महामारी) में अधिकाँश मारे गए शेष बचे(नानगा का काना के वंसज आमलोदा में रहते है ) उनमे से दो भाइयो को 200 वर् वर्ष पूर्व बक्सू सिंह तंवर जी अपने साथ अपने पूर्वजो की जागीर में डाबला में ले जाकर बसाया | इस गाँव में एक भाई का एक और दुसरे के तीन थोक है | जिनकी आबादी 900-1000 है |गुढ़ा चुराणी के खाटा परिवार ने वहां के ठाकुर जागीरदार से लड़ाई होने पर उसे मारकर चुराणी से आमेर राजा के आकर रहे आमेर राजा ने मान सम्मान और पद दिया |आमेर में खाटाओ की दो मंजिल हवेली के खंडहर आज भी मौजूद है लगभग 150 साल पूर्व खिमल्या पटेल के वंसज पांचू खाटा गाँव-नांगल के पास नारदपूरा की तन में खाटा ढाणी बसाई |यहाँ मंगला खाटा एक प्रसिद्द व्यक्ति थे जिनकी आमेर निजामत में अच्छी चलती थी | आज इस ढाणी में इनका कुनबा 125-30 आबादी का है और शिक्षित है |आमलोदा से ही एक भाई धोलागढ़ की और निकल गया | जब वह गुढ़ा चुराणी पहुंचा तो वहां के बैफ्लावातो ने पूछा आप कोण हो और कहाँ जा रहे हो उसने बताये में बैफलावत खाटा हूँ |आगे पीछे कोई नहीं तब उनको चुराणी में तलेडी जमीन में बसा लिया वे खाटा ही कहलाते है | जहाँ आज उनकी आबादी 300 के आस पास है |बैफलावत का उपगोत्र खाटा अन्य कई गाँवो में भी है |इस गोत्र पर जो जानकारी हो अवगत करावे |
सौजन्य -पी एन बैफलावत
काकड़ बाज्या घुघरा,फलसे बाज्या ढोल |
ओठो बावड रे खाटू का तेजा ,
थारो अमर रह ज्यागो कुल में बोल ||
यह खाटा उपाधि कितनी पुरानी है मित्रो से चर्चा में जान पायेंगे | गुढ़ा में कुछ समय रहने के बाद मिनाओ के प्राचीन गाँव - इन्दोक आ बसे | प्राचीन इन्दोक पहाड़ी पर था अब निचे आ बसे | यहाँ बैफलावत मुखिया की मुस्लिम आक्रमणकारी से कड़ी टक्कर हुई |झुन्था जी के वंस में यहाँ के लाल जी बैफलावत प्रसिद्द व्यक्ति रहे है | झुन्था जी के वंस में से दो भाई गुढ़ा में जा बसे | बाद एक भाई ने चुराणी बसाई | गुढ़ा चुराणी(थानागाजी) की आबादी 1200 के आस पास है मुस्लिम आक्रमण में पुराणी इन्दोक नष्ट हुई | तीन भाई इन्दोक से बैफ्लावातो के प्राचीन मेवासे खाटू में जा बसे | कुछ समय रह वहां आमलोदा (विराट नगर) आ बसे | उनमे से एक भाई ब्राह्मण के साथ पुनः चुराणी जा बसे | राजेश खाटा और उनके पिता बंशीधर खाटा जी ने व आमलोदा के कालू राम खाटा ने बताया की आमलोदा(20-25 आबादी शेष ) में मरी (महामारी) में अधिकाँश मारे गए शेष बचे(नानगा का काना के वंसज आमलोदा में रहते है ) उनमे से दो भाइयो को 200 वर् वर्ष पूर्व बक्सू सिंह तंवर जी अपने साथ अपने पूर्वजो की जागीर में डाबला में ले जाकर बसाया | इस गाँव में एक भाई का एक और दुसरे के तीन थोक है | जिनकी आबादी 900-1000 है |गुढ़ा चुराणी के खाटा परिवार ने वहां के ठाकुर जागीरदार से लड़ाई होने पर उसे मारकर चुराणी से आमेर राजा के आकर रहे आमेर राजा ने मान सम्मान और पद दिया |आमेर में खाटाओ की दो मंजिल हवेली के खंडहर आज भी मौजूद है लगभग 150 साल पूर्व खिमल्या पटेल के वंसज पांचू खाटा गाँव-नांगल के पास नारदपूरा की तन में खाटा ढाणी बसाई |यहाँ मंगला खाटा एक प्रसिद्द व्यक्ति थे जिनकी आमेर निजामत में अच्छी चलती थी | आज इस ढाणी में इनका कुनबा 125-30 आबादी का है और शिक्षित है |आमलोदा से ही एक भाई धोलागढ़ की और निकल गया | जब वह गुढ़ा चुराणी पहुंचा तो वहां के बैफ्लावातो ने पूछा आप कोण हो और कहाँ जा रहे हो उसने बताये में बैफलावत खाटा हूँ |आगे पीछे कोई नहीं तब उनको चुराणी में तलेडी जमीन में बसा लिया वे खाटा ही कहलाते है | जहाँ आज उनकी आबादी 300 के आस पास है |बैफलावत का उपगोत्र खाटा अन्य कई गाँवो में भी है |इस गोत्र पर जो जानकारी हो अवगत करावे |
सौजन्य -पी एन बैफलावत
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