हाड़ोती का प्राचीन और प्रमुख भैसा/ भैसवा गोत्र के मीणाओं का संक्षिप्त इतिहास


हाड़ोती के इस प्रमुख गोत्र का मुख्य गाँव सुन्दलक को माना जाता है जो 1000 साल पुराना है |यह गाँव इस गोत्र का एक प्राचीन मेवासा रहा है, यहाँ प्राचीन मकानात और मेवासे के खंडहर देखे जा सकते है | इस गाँव में गोत्र के जुझार खेमजी महाराज का स्थान और इस गोत्र की कुलदेवी और सती माता का प्राचीन स्थान भी है | सम्भवतः इस गोत्र का निकास अजमेर -मेरवाडा क्षेत्र से है | भैसरोड़ गढ़ (भैसा नामक मुखिया दुवारा बसाना माना जाता है ) भी इससे सम्बन्धित हो सकता है जिससे बकाला गोत्र का निकास माना जाता है जिस वंस में अबली मिनी हुई | गाँव-सुन्दलक (सुन्द लुच ) सूरज मल जी के अनुसार यह उन 12 गाँवो में प्रमुख है, जिनके सामूहिक रूप को आज बारा जिला कहते है | इस गोत्र की धराड़ी जाल का वृक्ष है | इस गोत्र से मिलते जुलते भैसला गोत्र के गाँव-गोपालपुरा (लाडपुरा कोटा) में प्राचीन बीजासन माता का थानक है और एक प्राचीन बावड़ी है | भैसवा गोत्र के 8-10 गाँव बारा जिले में है | श्री अमित भैसवा जी का कहना है बारा जिले में सुन्दलक, पल्सावा, रसखेडा, राज्पाली, रामनिवास(अटरू) भैसडा(अटरू) काचरा, तुमडा(अटरू) बूंदी जिले की नेनवा तहसील में गाँव-बाछोला (550) है जिसमे पुरानी सती कुलदेवी का मन्दिर भी है | नौताड़ा (कापरेन के पास ) और इसके आस पास भी इस गोत्र के गाँव है | बूंदी मे नोताडा(प्राचीन खेमजी महाराज का मन्दिर) और बाछोला इस गोत्र के प्राचीन गाँव है वहां से आकर ही बारा जिले मी बसे है | भैसवा, भैसलावत, भैंसा, भैसावत, भैंसला, बैंसला, बांसला गोत्र में फर्क है या एक है | भैंसा/भैसवा गोत्र का नाम कैसे हुआ किस गाँव से इस गोत्र का मुल निकास माना जाता है | ये कुलदेवी किसको मानते है | हाड़ोती क्षेत्र में इस गोत्र के कोण कोण से गाँव है और उनमे इस गोत्र की कितनी आबादी है यह सब तो आपके सहयोग से जानना होगा | मुझे उम्मीद है आप सबका सहयोग मिलेगा खासकर श्री सूरज मल जी के अनुभव और धरातल पर किये कार्य का हमें लाभ मिलेगा | मित्रो आपके सहयोग, समर्थन और स्नेह के साथ इस गोत्र के गाँवो के नाम और हिट्री जुटाने में हमारा सहयोग करे |
सौजन्य -पी एन बैफलावत

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