मीना इतिहास ग्रंथ ''आल्हा मीना'' लेखक- पटैल जयपाल सिंह डूंडिया

मीना इतिहास ---
 आज एक परम मित्र द्वारा एक दुर्लभ कृति प्राप्त हुई जो मीना इतिहास से सम्बंधित है । इसका नाम है ''आल्हा मीना'' जो कि 1946 में प्रथम बार प्रकाशित हुई थी । मीना इतिहास से सम्बन्धित काव्य विधा में प्राप्त मुझे अब तक ये पहली कृति महसूस हुई । इसके बाद ही दूसरी कृति एक अन्य कवि ने ''मीनायण'' के नाम से लिखी है ।
मीना  आल्हा के लेखक  पटैल जयपाल सिंह डूंडिया हैं जो मूलत हाडौती के मीना हैं।  इनका गांव बपावर (सांगोद) है। ये हाडौती के मीना संगठन के सभापति भी थे । ये मीनाओं के प्रथम इतिहासकार मुनि मगन सागर के शिष्य थे और उन्हीं की प्रेरणा से इन्होंने मीना इतिहास को आल्हा तर्ज या आल्हा छंद में लिखा । इस कृति का प्रकाशन 1946 के आस पास  में शिवा प्रेस मेरठ से हुआ जिसके सम्पादक थे दुर्गाप्रसाद वर्मा । वर्मा जी 'मीना वीर ' नामक पत्र के प्रकाशक और सम्पादक थे जो उत्तर प्रदेश से अंग्रेजो के जमाने में निकलता था । ये मीनाओ का बहुत महत्वपूर्ण अखबार/पत्र था ।
  इस कृति को इन्होंने लिखकर मुनि मगन सागर के सामने प्रस्तुत किया और उन्होंने ही इस नायाब कृति को यथाशीघ्र वितरित करने का सुझाव दिया था । इस कृति का मूल्य  उस समय दो आने था और प्रथम संस्करण में इसकी एक हजार प्रतियां छपवाई गई थी जो अल्प समय में ही बिक गई ।कुल 25 पृष्ठ की इस कृति में काफी संक्षिप्ता से काव्य के द्वारा मीना इतिहास को सजाया गया है ।  जन जन तक मीना इतिहास को पहुंचाने में इसका बहुत बडा योगदान रहा है । हमें ऐसी दुर्लभ कृतियों को तलाशते रहना चाहिए ताकि आगे इतिहास जानने और लेखन में काम आ सकें। इसी कृति से मुझे पता चला कि खोह गंग के चांदा वंश का 10-11 वीं शती में अपना खुद का रुपया चलता था जिसे चांदोडी रुपया कहा जाता था । एक ये बात भी पता चली कि मांची ( रामगढ) के सीहरा और दूल्हे राय(कछवाहा) के युद्ध के समय मीणाओं के मेवासो का भी एक बहुत विशाल संघ था जिन्होने उस युद्ध में भाग लिया लेकिन थोडी सी असावधानी के कारण और जीत के उन्माद में जीते हुये युद्ध को हार गये ।

कोई भाई सांगोद की तरफ का हो तो कृपया ये तलाश करके बतायेे कि क्या इनकी और भी कोई रचना है ? क्या इनके परिवार से कोई सक्रिय व्यक्ति है जिनसे कुछ हेल्प  मिल सके?

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